चित्र गूगल बाबा से साभार
बस्ती के हर आँगन में
पेड़ हो बड़ा
खूब हो घना
खुशबूदार फूल हों
फल मीठे-आते हों लदकर.
छाँव उसकी बड़ी दूर तक जाए
खुशबू की कहानियाँ हों घर-घर
हवा के झोंके में
झरते रहें फल
उठाते-खाते गुजरते रहें राहगीर
ऐसा एक पेड़
बस्ती के हर आँगन में
लगाना ही होगा
लोग
भूल गए हैं -धर्म
पेड़ों को बताना ही होगा.
लेखक- श्री सुरेश यादव
संपर्क- 09717750218
वाह क्या कविता है.
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है भारत और इंडिया के बीच पिसता हिंदुस्तान : ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
ReplyDeleteवाह ...बहुत सुंदर .... इंसान तो समझता नहीं शायद पेड़ ही समझ जाये ...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सिख देती कविता है....
ReplyDelete:-)