Saturday, July 7, 2012

कविता: पेड़ और धर्म


 चित्र गूगल बाबा से साभार  

बस्ती के हर आँगन में 
पेड़ हो बड़ा 
खूब हो घना
खुशबूदार फूल हों 
फल  मीठे-आते  हों  लदकर.

छाँव उसकी बड़ी दूर तक जाए 
खुशबू की कहानियाँ हों घर-घर

हवा के झोंके में
झरते रहें फल
उठाते-खाते गुजरते रहें राहगीर 

ऐसा एक पेड़
बस्ती के हर आँगन में 
लगाना ही होगा

लोग
भूल गए हैं -धर्म
पेड़ों को बताना ही होगा.


लेखक- श्री सुरेश यादव
संपर्क- 09717750218

4 comments:

  1. MOHAN KUMARJuly 7, 2012 7:28 PM

    वाह क्या कविता है.

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  2. Dev Kumar JhaJuly 7, 2012 10:36 PM

    आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है भारत और इंडिया के बीच पिसता हिंदुस्तान : ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !

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  3. संगीता स्वरुप ( गीत )July 7, 2012 11:18 PM

    वाह ...बहुत सुंदर .... इंसान तो समझता नहीं शायद पेड़ ही समझ जाये ...

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  4. Reena MauryaJuly 8, 2012 12:02 PM

    बहुत ही बढ़िया सिख देती कविता है....
    :-)

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