"एक था टाइगर" सलमान खान अभिनीत ये फिल्म 15 अगस्त को भारत भर मेँ रिलीज की गई.
अगर आपने भी इस फिल्म को देखने का प्लान बनाया है तो पहले आपको यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिये.
फोटो मेँ दिखाया गया ये शख्स सलमान खान की तरह बहुत मशहूर तो नहीं है और शायद ही कोई इनके बारे मेँ जानता हो या किसी से सुना हो.
अगर आपने भी इस फिल्म को देखने का प्लान बनाया है तो पहले आपको यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिये.
फोटो मेँ दिखाया गया ये शख्स सलमान खान की तरह बहुत मशहूर तो नहीं है और शायद ही कोई इनके बारे मेँ जानता हो या किसी से सुना हो.
इनका नाम था रवीन्द्र कौशिक. ये भारत की जासूसी संस्था RAW के भूतपूर्व एजेन्ट थे. राजस्थान के श्रीगंगानगर में पले बढ़े रवीन्द्र ने 23 साल की उम्र में ग्रेजुएशन करने के बाद RAW ज्वाइन की थी.
भारत पाकिस्तान और चीन के साथ एक-एक लड़ाई लड़ चुका था और पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर रहा था. जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी, तो उसने RAW के जरिये रवीन्द्र कौशिक को भारतीय जासूस बनाकर पाकिस्तान भेजा, रवीन्द्र ने नाम बदलकर यहाँ के एक कालेज में दाखिला लिया. यहाँ से वे कानून की पढ़ाई में एक बार फिर ग्रेजुएट हुए और उर्दू सीखी और बाद पाकिस्तानी सेना में जासूसी के लिये भर्ती हो गये. कमाल की बात है, कि इस बारे में पाकिस्तान को कानों-कान खबर नहीं हुई, कि उसकी सेना में भारत का एक एजेँट है.
रवीन्द्र ने 30 साल अपने घर से दूर रहकर देश की खातिर खतरनाक परिस्थितियोँ के बीच पाकिस्तानी सेना मेँ बिताए. उनकी बताई जानकारियोँ के बलबूते पर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर रणनीति तैयार की. पाकिस्तान तो भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध से काफी पहले ही युद्ध छेड़ देता, किन्तु रवीन्द्र के रहते यह संभव ना हो पाया. केवल एक आदमी ने पाकिस्तान को खोखला कर दिया था.
भारतीय सेना को रवीन्द्र के जरिये रणनीति बनाने का पूरा मौका मिला और पाकिस्तान जिसने कई बार राजस्थान से सटी सीमा पर युद्ध छेड़ने का प्रयास किया उसे मुँह की खानी पड़ी.
यह बात बहुत कम लोगोँ को पता है, कि पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाईयोँ का असली हीरो रवीन्द्र कौशिक है. रवीन्द्र के बताये अनुसार भारतीय सेना के जवानोँ ने अपने अतुल्य साहस का प्रदर्शन करते हुये पहलगाम मेँ घुसपैठ कर चुके 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकोँ को मार गिराया,किन्तु दुर्भाग्य से रवीन्द्र का राज पाकिस्तानी सेना के सामने खुल गया. रवीन्द्र ने किसी तरह भागकर खुद को बचाने के लिये भारत सरकार से अपील की, किन्तु सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार ने उन्हें भारत वापिस लाने मेँ कोई रुचि नहीँ दिखाई. अततः उन्हें पाकिस्तान मेँ ही पकड़ लिया गया और जेल मेँ डाल दिया. उनपर तमाम तरह के मुकदमेँ चलाये गये. उनको टार्चर किया गया, कि वो भारतीय सेना की गुप्त जानकारियाँ बता दें. उन्हें छोड़ देने का लालच भी दिया गया, किन्तु उन्होंने मुँह नहीँ खोला और बाद में जेल में ही उनकी मौत हो गयी.
ये सिला मिला रवीन्द्र कौशिक को 30 साल की देशभक्ति का भारत सरकार ने भारत मेँ मौजूद रवीन्द्र से संबंधित सभी रिकार्ड मिटा दिये और RAW को धमकी दी कि अपना रवीन्द्र के मामले मे अपना मुँह बंद रखे. उसके परिवार को हाशिये में ढकेल दिया गया और भारत का ये सच्चा सपूत गुमनामी के अंधेरे मेँ खो गया।
एक था टाइगर नाम की ये फिल्म रवीन्द्र कौशिक के जीवन पर ही आधारित है. जब इस फिल्म का निर्माण हो रहा था, तो भारत सरकार के भारी दखल के बाद इसकी स्क्रिप्ट में फेरबदल करके इसकी कहानी मे बदलाव किया गया पर मूल कथा वही है.
इस देशभक्त को गुमनाम ना होने दें और इस पोस्ट को और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और इस महान देशभक्त के बारे में लोगों को बताएँ.
और हाँ जब भी यह फिल्म देखने जाएँ तब इस असली टाइगर को जरूर याद करके एक बार नमन कर लें.
भारत पाकिस्तान और चीन के साथ एक-एक लड़ाई लड़ चुका था और पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर रहा था. जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी, तो उसने RAW के जरिये रवीन्द्र कौशिक को भारतीय जासूस बनाकर पाकिस्तान भेजा, रवीन्द्र ने नाम बदलकर यहाँ के एक कालेज में दाखिला लिया. यहाँ से वे कानून की पढ़ाई में एक बार फिर ग्रेजुएट हुए और उर्दू सीखी और बाद पाकिस्तानी सेना में जासूसी के लिये भर्ती हो गये. कमाल की बात है, कि इस बारे में पाकिस्तान को कानों-कान खबर नहीं हुई, कि उसकी सेना में भारत का एक एजेँट है.
रवीन्द्र ने 30 साल अपने घर से दूर रहकर देश की खातिर खतरनाक परिस्थितियोँ के बीच पाकिस्तानी सेना मेँ बिताए. उनकी बताई जानकारियोँ के बलबूते पर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर रणनीति तैयार की. पाकिस्तान तो भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध से काफी पहले ही युद्ध छेड़ देता, किन्तु रवीन्द्र के रहते यह संभव ना हो पाया. केवल एक आदमी ने पाकिस्तान को खोखला कर दिया था.
भारतीय सेना को रवीन्द्र के जरिये रणनीति बनाने का पूरा मौका मिला और पाकिस्तान जिसने कई बार राजस्थान से सटी सीमा पर युद्ध छेड़ने का प्रयास किया उसे मुँह की खानी पड़ी.
यह बात बहुत कम लोगोँ को पता है, कि पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाईयोँ का असली हीरो रवीन्द्र कौशिक है. रवीन्द्र के बताये अनुसार भारतीय सेना के जवानोँ ने अपने अतुल्य साहस का प्रदर्शन करते हुये पहलगाम मेँ घुसपैठ कर चुके 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकोँ को मार गिराया,किन्तु दुर्भाग्य से रवीन्द्र का राज पाकिस्तानी सेना के सामने खुल गया. रवीन्द्र ने किसी तरह भागकर खुद को बचाने के लिये भारत सरकार से अपील की, किन्तु सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन इंदिरा गाँधी सरकार ने उन्हें भारत वापिस लाने मेँ कोई रुचि नहीँ दिखाई. अततः उन्हें पाकिस्तान मेँ ही पकड़ लिया गया और जेल मेँ डाल दिया. उनपर तमाम तरह के मुकदमेँ चलाये गये. उनको टार्चर किया गया, कि वो भारतीय सेना की गुप्त जानकारियाँ बता दें. उन्हें छोड़ देने का लालच भी दिया गया, किन्तु उन्होंने मुँह नहीँ खोला और बाद में जेल में ही उनकी मौत हो गयी.
ये सिला मिला रवीन्द्र कौशिक को 30 साल की देशभक्ति का भारत सरकार ने भारत मेँ मौजूद रवीन्द्र से संबंधित सभी रिकार्ड मिटा दिये और RAW को धमकी दी कि अपना रवीन्द्र के मामले मे अपना मुँह बंद रखे. उसके परिवार को हाशिये में ढकेल दिया गया और भारत का ये सच्चा सपूत गुमनामी के अंधेरे मेँ खो गया।
एक था टाइगर नाम की ये फिल्म रवीन्द्र कौशिक के जीवन पर ही आधारित है. जब इस फिल्म का निर्माण हो रहा था, तो भारत सरकार के भारी दखल के बाद इसकी स्क्रिप्ट में फेरबदल करके इसकी कहानी मे बदलाव किया गया पर मूल कथा वही है.
इस देशभक्त को गुमनाम ना होने दें और इस पोस्ट को और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और इस महान देशभक्त के बारे में लोगों को बताएँ.
और हाँ जब भी यह फिल्म देखने जाएँ तब इस असली टाइगर को जरूर याद करके एक बार नमन कर लें.
जय हिंद! वंदे मातरम!
***लेख फेसबुक से साभार***