Wednesday, June 27, 2012

आओ एक गीत गा दें

चित्र गूगल बाबा से साभार 
नेह के दीपक बुझ रहे,

फिर से जला दें,

आओ एक गीत गा दें|

बढ़ रहा तम घनेरा,धूप में भी,


दीप बन जल उठें,तम मिटा दें,

आओ एक गीत गा दें|

दरकती दीवार विश्वास और प्रेम की अब,


स्नेह का थोडा मुलम्मा चढ़ा दें,

आओ एक गीत गा दें|

धर्म के नाम पर भी सियासत हो रही है,


आस्था का कोई दीप जला दें,
आओ एक गीत गा दें|
सम्बन्ध भी बनाने लगे,अर्थ की नीव पर,


अर्थ के भी अर्थ का भाव बता दें,
आओ एक गीत गा दें|
होने लगे जुदा माँ-बाप,पति-पत्नी सभी,


रिश्तों के संसार को समर्थ बना दें,
आओ एक गीत गा दें|
अब तो संस्कार सारे खोने लगे हैं "कीर्ति"


रामायण का सार सबको बता दें,
आओ एक गीत गा दें_

रचनाकार- डॉ. ए. कीर्तिवर्धन




दूरभाष- 08265821800

4 comments:

  1. MOHAN KUMARJune 27, 2012 1:11 PM

    वाह

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  2. SHAILESHJune 27, 2012 2:25 PM

    मन में ज्ञान के दीपक जलावे
    बुझाते संस्कार में संस्कार की ज्योति जला दे.

    SHAILESH KUMAR
    abdhesh-shaileshkumar.blogspot.in

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  3. Kailash SharmaJune 27, 2012 3:53 PM

    बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

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  4. JOURNALIST SUNILJune 28, 2012 1:50 PM

    सार्थक प्रस्तुति.

    ReplyDelete
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