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एंटी रोड रेज एंथम: गुस्सा छोड़

Monday, September 2, 2013

गंदी नाली के कीड़े - ( लघु कथा )

बड़े साहब की गाड़ी जैसे ही चौराहे पर सिग्नल के लिए रुकी एक चौदह पंद्रह वर्षीय बालक हाथ मे कपड़े का टुकड़ा लिए उनकी गाड़ी की तरफ लपका और फटाफट शीशे चमकाने लगा । शायद ये लोग कुछ पैसों की खातिर अपनी जान को जोखिम मे डाले फिरते है । क्या करे पेट की आग और गरीबी की मार कुछ भी करवाती है । बड़े साहब ने नई मर्सिडीज़ खरीदी थी उस पर उस बच्चे के गंदे हाथ देख तिलमिला गए , उतरे और एक जन्नाटे दार थप्पड़ उसके कोमल गाल पर जड़ दिया , - यू रासकल्स ! गंदी नाली के कीड़े ! तेरी हिम्मत कैसे हुई गाड़ी को हाथ लगाने की । बच्चा सकपका गया आँसू ढुलक कर गाल पर गिरने लगे इनता ही बोला – “ साब मै तो .....................।” 
शटअप !!!!!! ज़ोर से चीखे बड़े साहब और गाड़ी जाकर बैठ गए ।

 सुबह जब वह बच्चा फिर अपनी दिहाड़ी के लिए आया तो देखा  बढ़िया लक़दक़ करता सूट , चमाचम बूट , गले मे नेक टाई , कलाई पर सुनहरी चेन वाली घड़ी पहने कोई आदमी रोड किनारे नाली मे गिरा हुआ है उसकी गाड़ी दीवार से ठुकी हुई है । वो चौंका  “ ये तो कल रात वाले साहब है जिन्होने मुझे थप्पड़ मारा था । उसने उनका मुंह घुमाया तो बड़े ज़ोर का भभका उसकी नाक को चीर गया ।  “ ऊँह गंदी नाली के कीड़े कहीं के । कहता हुआ वह आगे बढ़ गया ।
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