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गुस्सा छोड़

Friday, August 15, 2014

गज़ल

पनपती ही जाये उदासी ज़मीं पर
ये फैली है क्यूँ बदहवासी ज़मीं पर
यहाँ भाई का भाई दुश्मन हुआ है
सबब कुछ नहीं बस ज़रा सी ज़मीं पर
अगर फैंके खाना उन्हें देख जिनको
मय्यसर नहीं झूठा, बासी ज़मीं पर
खता तूने कैसी बसर कर दी जिससे
बरसता नहीं अब्र प्यासी ज़मीं पर
औरत को देवी बताते तो हो तुम
बना कर रखो घर की दासी ज़मीं पर
हुई रौशनी तेरे घर मैं ‘असर’ जब
उतर आयी बेटी दुआ सी ज़मीं पर  

रचनाकार : प्रमोद शर्मा 'असर'
हौज़खास, नई दिल्ली 
फोन नंबर- 09910492264
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