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कविता: वो मंत्र नमो है

Sunday, August 26, 2012

बाप (लघु कथा)

चित्र गूगल बाबा से साभार


   मेट्रो सफर के दौरान सूबे सिंह जिले सिंह के कान में फुसफुसाया, “तेरे बगल में खड़ी छोरी ने तेरा बटुआ उड़ा लिया है”.

जिले सिंह ने घबराकर अपने बगल में देखा, तो एक सुन्दर युवा लड़की को खड़ा पाया. उसे अचानक न जाने क्या सूझा, कि उसने उस लड़की को अपनी बाँहों में भर लिया और बड़े ही प्यार से बोला, “जानेमन आज तुम बड़ी ही खूबसूरत लग रही हो”.

वह लड़की चीखी , “अरे कोई मुझे बचाओ. यह आदमी मुझे छेड़ रहा है”.

मेट्रो ट्रेन के यात्रियों ने उन दोनों को चारों ओर से घेर लिया और जिले सिंह को उसकी हरकत के लिए डाँटने लगे.

जिले सिंह बोला, “देखो भाइयो और बहनो अगर मैंने अपनी बीबी को बाहों में भरकर दो प्यार भरी बातें कर लीं, तो मैंने भला कौन सा पाप कर दिया”.

“अगर यह तेरी बीबी है तो फिर यह क्यों चिल्लाकर कर कह रही थी, कि तू इसे छेड़ रहा है”. एक बूढ़ी महिला चीखकर जिले सिंह से बोली.

जिले सिंह मुस्कराते हुए बोला, “अरे अम्मा काहे को अपना खून जला रही हो? वो बात यह है, कि आज यह मुझसे थोड़ा नाराज़ है. इसीलिए यह ड्रामा किया”.

भीड़ में से एक आदमी ने दाँत पीसते हुए जिले सिंह से पूछा, “तुम कैसे कह सकते हो, कि यह लड़की तुम्हारी बीबी है? क्या सबूत है तुम्हारे पास”?

जिले सिंह शांत होकर बोला, “अगर आप सभी को मेरी बात का यकीन नहीं हो रहा है, तो मेरी बीबी का हैंड बैग खोलकर देख लीजिए. इसमें मेरा बटुआ मिल जाएगा, जिसमें मेरी तस्वीर लगी है”.

लोगों ने उस लड़की पर ज़ोर दिया, तो उसे अपना हैंड बैग खोलकर दिखाना पड़ा, जिसमें जिले सिंह का बटुआ मिल गया. जब जिले सिंह ने उस लड़की द्वारा बटुआ चोरी किए जाने की पूरी घटना सभी यात्रियों को बताई तो सभी उसकी सूझबूझ की तारीफ़ करने लगे.

कुछ देर बाद जब उस चोरनी लड़की को पुलिस पकड़कर ले जा रही थी, तो जिले सिंह उसके कान में फुसफुसाया, “रिश्ते में न सही अकल में हम तुम्हारे बाप लगते हैं”.

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