जुगनू ढूढता
रोशनियों के घरोंदो मे
जगमगाते गावं -शहर के दीपों मे
अपने रिश्तें |
जुगनू जो खुद ही
रोशनी नहीं जानता
कितनी है |
रोशनियों की भीड़ मे
उसकी क़द्र कोंन करेगा
भीड़ भरी दुनिया मे
अलग पहचान केसे बनायेगा |
शायद वह जान गया
रोशनियों की चकाचोंध मे
उसकी बखत नहीं |
अंधेरों को चीरते
उड़ान की हिम्मत ने
अंधेरों मे हजारों
लोगों की आखों को
दिखा दिया अपनी
रोशनी का रूप |
नन्हे होसलों ने दिखाया
अपना दम
तभी आवाजें आई
वो रहा जुगनू |
संजय वर्मा " दृष्टि "
१२५'शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर, जिला -धार (म. प्र. )
चित्र गूगल से साभार