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कविता: वो मंत्र नमो है

Thursday, January 16, 2014

जाग रे मन !! .............. ( अन्नपूर्णा बाजपेई )

जाग रे मन !
कब तक यूं ही सोएगा
जग मे मन भरमाएगा
अब तो जाग रे मन !!
1)
सत्कर्मों की माला काहे न बनाई
पाप गठरिया है  सीस  धराई  
जाग रे !!!!
2)
माया औ पद्मा कबहु काम न आवे
नात नेवतिया साथ कबहु न निभावे
जाग रे !!!!
3)
दिवस निशि सब विरथा ही गंवाई
प्रीति की रीति अबहूँ  न निभाई
जाग रे !!!!!
4)
सारा जीवन यही जुगत लगाई
मान अभिमान सुत दारा पाई
जाग रे !!!!
5)
अब काहे मनवा रह रह काँपे  
जब लगाय रहे लेवइया हाँके
जाग रे !!!!!
कब तक यूं ही सोएगा
जग मे मन भरमाएगा
अब तो जाग रे मन !!