 
                                            
                                              पन्द्रह अगस्त पर
                                            
                                            
                                              आज़ादी है त्रस्त
                                            
                                            
                                              जनता अभावग्रस्त
                                            
                                            
                                              अफसर-नेता मस्त।
                                            
                                            
                                              गुस्से से ऐंठे लोग 
                                            
                                            
                                              घर में छुप कर बैठे लोग
                                            
                                            
                                              भूखे पेट बन्दूक लिए
                                            
                                            
                                              देखो कैसे-कैसे लोग 
                                            
                                            
                                              कर्फ्यू के बीच में
                                            
                                            
                                              पुलिस जन की गश्त।
                                            
                                            
                                              क़र्ज़ से मरते किसान
                                            
                                            
                                              सस्ता हुआ इंसान
                                            
                                            
                                              नीची जात, ऊंची जात
                                            
                                            
                                              दोनों के जल गए मकान
                                            
                                            
                                              पवन चली मंद-मंद
                                            
                                            
                                              हो कर भयग्रस्त।
                                            
                                            
                                              घर में पिटी 
                                            
                                            
                                              बाहर लुटी
                                            
                                            
                                              देखने को उसे 
                                            
                                            
                                              भीड़ जुटी
                                            
                                            
                                              बीस रुपये में
                                            
                                            
                                              श्यामा बिक गई
                                            
                                            
                                              खुशी में  मनाएँ
                                            
                                            
                                              चलो पन्द्रह अगस्त।
                                            
                                          

