आज सुबह जब कसाब की फाँसी की खबर सुनी तो सोचा, कि फाँसी की पूरी प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गयी? फांसी देने के पहले आरोपी के वकील को सूचना दी जाती है और यदि आरोपी विदेश में हो तो उस देश के दूतावास को सूचना दी जाती है, कि फलाँ तारीख को मुजरिम को फाँसी दी जाएगी. जब राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका रद्द की जाती है, तो इसके बाद एक मजिस्ट्रेट फाँसी देने का आदेश जारी करता है. कसाब के केस में ऐसा क्यों नही हुआ?
कल तक जो सरकार ये कहती थी, कि अफजल गुरु और कसाब के पहले १७ लोगों की फ़ाइल पेंडिंग है, इसलिए जब इनका नम्बर आएगा तब इनको फाँसी होगी, लेकिन अचानक केन्द्र सरकार इस क्रम को क्यों भूल गयी ?
असल में कसाब को फाँसी हुई ही नहीं है. कसाब कल रात ८ बजे ही आर्थर रोड जेल में डेंगू से मर चुका था. जेल अधिकारियों ने आर. आर. पाटिल को इसकी सूचना दी. मच्छरों की मेहनत को अपने पक्ष में भुनाने की सोचकर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से मिलकर कसाब की फाँसी की झूठी खबर को फैला दिया. शायद यह देशवासियों को उल्लू बनाने का केन्द्र सरकार का नया हथकंडा है.
दाद देती हूँ
ReplyDeleteआपकी खोजी नजरों को
सुना तो था कि मलेरिया हो गया है
आपकी बातें 99 प्रतिशत सही हो
जहाँ तक मुझे ज्ञात है फाँसी अल-सुबह 4 बजे लगाने का नियम भी है
फिर 7.30 बजे क्यूँ
Jitendra ji aapane jo likha hai main usase sahamat hun isi bat ka andesha hamako bhi tha lekin jo bhi hua Rashtra hit men bahut hi achchha hua. Kash desh ki sarakar usi samay encounter kar deti to etana kharch nahi hota ek hatyare ke upar. Jab Pakistan us aatanki ko aapana manane ko jald taiyar nahi hua tabhi usko khatm kar dena tha, sabhi jankari usase to lee ja chuki thi fir etna der knyo kiya gaya.aise bhut se sawal hain magar jo bho hua bhut achchha hua.
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