Friday, November 23, 2012

शोभना काव्य सृजन पुरस्कार प्रविष्टि संख्या - 1


कविता: पूर्ण विराम 

भ्रूण हत्या की एक शिकार 
खून से लथपथ बेबस लाचार 
दम तोड़ती,तोतली जुवान  में 
समाज से पूछे है सवाल 
क्या कसूर था मेरा ?
क्या कसूर था मेरा ?
जो कर दिया मेरा ऐसा हाल 
इतनीं निर्ममता इतनीं निर्दयता 
सबकी सोच पे हूँ शर्मसार 
मैं तो सोच के आयी थी 
कोई नया इतिहास रचाऊंगी
कल्पना चावला,सुनीता विलियम्ज़ 
जैसा कोई कीर्तिमान बनाऊंगी
मदर टैरेसा  जैसी ममता 
सारी दुनियाँ पे लुटाऊंगी   
माँ  बाप के आते बुढ़ापे में 
उनकी लाठी बन जाऊंगी
रानी झाँसी जैसा कोई 
कारनामा कर जाऊंगी
जो न कर पाया हो ऐसा 
काम वोह करके दिखाऊंगी
लेकिन टूट गया हर सपना 
खुशियों को ग्रहण लग गया ग़म का 
उदास मन से आत्मा मेरी 
बापिस चल पड़ी अपने धाम 
प्रार्थना करूँगी भगवान् से मैं 
या तो दुनियाँ की सोच बदल दो 
या लड़की की पैदाईश पे लगा दो विराम    
बेटा बेटा करते सारे 
सब बेटा ही चाहते हैं 
कलयुग के इस दौर में कितनें 
बेटे फ़र्ज़ निभाते हैं 
यह कोई झूठी कहानी नहीं है 
ऐसा ही अक्सर देखा है 
माँ बाप की मेहनत की कमाई
नालायक़ बेटा हड़प लेता है 
बीबी के आते ही,बेटा बदल जाता है 
बूढ़े बेबस माँ बाप को 
अनाथालय तक छोड़ आता है 
फिर भी समाज को बेटा ही प्यारा 
बेटी से चाहते छुटकारा...

रचनाकार - श्री दीपक कुल्लुवी

संपर्क- 1146/47, डी.डी.ए. फ्लैट्स, 
कालकाजी, नई दिल्ली - 110019
दूरभाष - 09350078399

7 comments:

  1. rajkalshaniaNovember 23, 2012 at 12:50 PM

    Sharma jee Namskar,

    Kya Khub kaha aapne, stya ko ujagar karti, bhavnayukt ek bahut hi mahttavpurn rachna.....

    phool singh

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    1. दीपक शर्मा कुल्लुवी DEEPAK SHARMA KULUVINovember 23, 2012 at 1:24 PM

      SHUKRIYA BHAI PHOOL SINGH

      99% HAQEEKAT YAHI HAI MERE BHARAT KI

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    2. दीपक शर्मा कुल्लुवी DEEPAK SHARMA KULUVINovember 23, 2012 at 3:10 PM

      thanks

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  • Kumud SharmaNovember 23, 2012 at 2:30 PM

    खुदा की हर रज़ा हमें हँसते हुए स्वीकार करनी चाहिए

    कुमुद

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  • Madan Mohan SaxenaNovember 23, 2012 at 5:30 PM

    अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने

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  • दीपक शर्मा कुल्लुवी DEEPAK SHARMA KULUVINovember 27, 2012 at 2:12 PM

    सक्सेना जी यह आपकी बेहतरीन सोच का कमॉल है जो हमारी रचना पसंद आयी
    धन्यवाद

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  • PAnkhuri SinhaDecember 31, 2012 at 7:08 AM

    samaj ko jagane waali umda kavita hai aapki

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