सादर ब्लॉगस्ते पर आपका स्वागत है

एंटी रोड रेज एंथम: गुस्सा छोड़

Monday, December 2, 2013

गीत: चलो मिलते हैं वहाँ

धरती के उस छोर पर
धानी चूनर ओढ़ कर
वसुधा मिलती हैं अनन्त से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

बन्धन सारे तोड़ कर
लहरों की चादर ओढ़ कर
दरिया मिलता है किनारे से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

पर्वतों से निकल कर
लम्बी दूरी चल कर
नदियाँ मिलती है सागर से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

बसंती भोर में
खिले उपवन में
भँवरे फूलों से मिलते हैं जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

स्वाति नक्षत्र के
वर्षा की इक बूँद से
तृप्त हो चातक मिलता है जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

पूनम की रात में
चाँदनी विस्तार से
किलोल करती मिलती हैं जहाँ
चलो मिलतें हैं वहाँ !!

जमुना के तट पर
बाँध उमंगो की डोर
मिलती है राधा कृष्ण से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

सांसों की लय तोड़ कर
नश्वर काया छोड़ कर
आत्मा परमात्मा से मिलती है जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

मीना पाठक


कानपुर उत्तर प्रदेश