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Friday, February 1, 2013
शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 4
22 comments:
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Shanti PurohitFebruary 2, 2013 at 10:14 AM
bahut achchi rachna hai ...neelemaji
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NeelimaFebruary 2, 2013 at 11:25 AM
सराहनीय शब्दों के लिय आभार आपका शांति जी
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KrRahulFebruary 2, 2013 at 10:27 AM
Wah, bahut sundar rachna. Aur samsamayik bhi...
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NeelimaFebruary 2, 2013 at 11:25 AM
बहुत बहुत धन्यवाद राहुल
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vandana guptaFebruary 2, 2013 at 11:07 AM
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (2-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
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NeelimaFebruary 2, 2013 at 11:26 AM
मेरी रचना को आपने मान दिया उसके लिए बहुत बहुत आभार आपका वंदना जी
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Meena PathakFebruary 2, 2013 at 3:36 PM
बहुत सुन्दर रचना सखी .. बधाई
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NeelimaFebruary 2, 2013 at 3:44 PM
शुक्रिया मीना .
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mukeshFebruary 2, 2013 at 4:29 PM
umdaah....
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NeelimaFebruary 2, 2013 at 4:34 PM
shukriya Mukesh ji
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RahulFebruary 2, 2013 at 5:20 PM
सही कहा आपने कि ये दायरे नारी के ही बनाये हुए हैं। इस लिए "स्वतंत्रता" कहना एक मायने में उचित नहीं होगा क्योंकि परिवार पोषण और आने वाली पीढ़ी को नैतिकता और सदाचार का अभिप्राय समझाने में जितना नारी का योगदान है और ये सब उसके अस्तित्व से इस तरह जुड़ा हुआ है कि अपने इन जिम्मेदारियों को बोझ समझना या इनसे स्वतंत्रता पाने की चेष्टा नारी या इस सारे समाज के लिए अकल्पनीय है।
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NeelimaFebruary 2, 2013 at 6:16 PM
shukriya Rahul jee
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mystic mohinyFebruary 2, 2013 at 10:23 PM
This comment has been removed by the author.
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NeelimaFebruary 3, 2013 at 12:38 PM
kya hua mystic mohiny jee
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बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्तिनसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
ReplyDeleteआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
बहुत बहुत शुक्रिया Shalini jee
Deleteबहुत बहुत बधाई नीलिमा जी....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना..
अनु
हार्दिक आभार अनु जी
Deleteरचनात्मकता से भरी अंतःकरण को छू लेने वाली
ReplyDeleteबेहद संजीदा कृति... बधाई नीलिमा जी |
सभी लेखकों एवं ब्लॉग के संपादक को हार्दिक शुभकामनाएं|
शुक्रिया प्रज्ञा बहुगुणा
Deleteबधाई नीलिमा जी , बहुत खूब लिखा आपने :)
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अरुणा जी
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