ग़ज़ल
                                            
                                            
                                                सोचो तुम तन्हाई में 
                                              
                                              
                                                  लुटते हम दानाई में ।
                                                
                                                
                                                  उथले जल में कुछ न मिले 
                                                
                                                
                                                  मिलता सब गहराई में ।
                                                
                                                
                                                  दौलत को सब कुछ माना 
                                                
                                                
                                                  उलझे पाई - पाई में ।
                                                
                                                
                                                  हमको भाते गैर सभी 
                                                
                                                
                                                  दुश्मन दिखता भाई में ।
                                                
                                                
                                                  दिल का खेल बड़ा मुश्किल 
                                                
                                                
                                                  खोई नींद जुदाई में ।
                                                
                                                
                                                  विर्क यकीं बस तुम करना 
                                                
                                                
                                                  दें दिल चीर सफाई में ।
                                                
                                                
                                                          रचनाकार: श्री दिलबाग विर्क
                                                        
                                                        
                                                         
                                                        
                                                          सिरसा, हरियाणा 
                                                        
                                                      

