तुम्हारे नाज़ुक ज़िस्म पर हैवानियत का हमला ,
दरिंदगी की इन्तिहां मुश्किल था संभलना !
नोंच दिया अंग-अंग वहशी थे खूंखार ,
रो पड़ी मानवता सुनकर तेरा चीत्कार!
हे बहादुर बेटी !तेरे साहस को सलाम !
तू कड़की बनकर 'दामिनी' झंकझोर दी अवाम !
तेरी जिजीविषा ने सबको जगा दिया ,
नारी के आगे मस्तक पुरुष का झुका दिया !
दामिनी की आह से उठा है जो तूफ़ान ,
भारत की हर बेटी तक पहुंचा दो वो पैगाम !
''निर्भया''बन करना हैवानों का सामना !
न भूलना कुर्बानी बस ये है कामना !!
prakashan hetu hardik aabhar
ReplyDeleteshikha ji ,bahut hi bhavpoorn shabdon me aapne damini kand ko abhivyakt kiya hai .sarahniy abhivyakti. badhai
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