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Friday, March 15, 2013

कविता: बूढ़ी माँ



एक टूटी दीवार


एक सूखा हुआ पेड़


एक मुरझाया हुआ फूल


एक ऐसी दीवार...


जिसमें आपका घर था


एक ऐसा पेड़


जिसके हज़ारो फल खाऐ आपने


एक ऐसा फूल


जिसने आपकी जिंदगी महकाई


वो माँ


जिसकी आँचल की छाँव में


महफूज़ बचपन बीता


वो माँ


जिसकी उंगली थाम कर


जिंदगी में चलना सीखा


क्या होते आप


अगर ये पेड़ ना होता


अगर ये दीवार ना होती


अगर ये फूल ना होता


अगर ये माँ ना होती


क्या होते आप


क्या होता आपका वजूद...


रचनाकार: सुश्री रमा शर्मा
ओसाका, जापान 


9 comments:

  1. सरिता भाटियाMarch 15, 2013 at 12:35 PM

    bahut khub maa ke bin ghar bejaan hota hai
    गुज़ारिश : !!..शायद ,मैं फेल हो गई.. !!

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    1. Ramaajay SharmaMarch 16, 2013 at 12:52 AM

      आभार सरिता जी

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  • Geeta PurohitMarch 16, 2013 at 12:23 PM

    कुछ नही होता माँ के बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नही होता , क्योकि माँ तो बस माँ होती हे ,

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    1. Ramaajay SharmaMarch 17, 2013 at 4:47 PM

      सही बात गीता जी ,अगर जी समझे तो

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  • Geeta PurohitMarch 16, 2013 at 12:24 PM

    कुछ नही होता माँ के बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नही होता , क्योकि माँ तो बस माँ होती हे ,

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  • Shanti PurohitMarch 17, 2013 at 4:22 PM

    maa k bina aaj mai nahi hoti bas itna hi kahungi....bahut sundar kavita..

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    1. Ramaajay SharmaMarch 17, 2013 at 4:48 PM

      आभार शांति ही

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  • Shamlal PuriMarch 17, 2013 at 7:07 PM

    Very good and well expressed. You have said it with great emotion and sentimentality. Great truth about the bond between mother and child.

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  • Gaurika SharmaMarch 19, 2013 at 10:07 PM

    बहुत ही खूबसूरती से पिरोया इन भावनाओ को.....

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