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शोभना सम्मान-2012

Monday, April 22, 2013

लघुकथा:ख्वाब

रोज छोटू को सामने वाली दूकान पर काम करते हुए देखती थी , रोज ऑफिस में चाय देने आता था , हँसता , बोलता  पर आँखों में कुछ  ख्वाब से तैरते थे .

एक दिन मैंने उससे कहा 

" छोटू पढने नहीं जाते "
"नहीं दीदी समय नहीं मिलता "
"क्यूँ घर में कौन-कौन है  "
"माँ ,बापू बड़ी बहन ,छोटी बहन "
"तो सब क्या करते है "
"सभी काम करते है "
"तुम्हे पढना नहीं अच्छा लगता ?"
वह चुप हो गया ,और नीहिर भाव आँखों में था  ,धीरे से बोला ---
" हाँ बहुत मन करता है पढूं , अच्छे अच्छे कपडे पहनूँ, स्कूल जाऊँ और मैं भी एक दिन ऐसे ही नौकरी कर बड़ा इंसान बनूँ, पर इतने पैसे नहीं है, जो मिलता है सब मिलकर उससे खाना ले कर आते है ,".........काश  में भी बड़े घर में जन्म लेता.......
शब्द खामोश हो गए और नयन सजल ,यह सजा भगवान् ने नहीं दी , इंसानों ने ही तो अमीर गरीब बनाये है ,स्वप्न तो सभी की आँखों में एक जैसे ही आते है.

रचनाकार: सुश्री शशि पुरवार
इंदौर, मध्य प्रदेश 

3 comments:

  1. vandana guptaApril 22, 2013 at 1:10 PM

    एक कडवा सत्य

    ReplyDelete
  2. shashi purwarApril 22, 2013 at 4:56 PM

    abhar hamen shamil karne ke liye

    ReplyDelete
  3. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)April 22, 2013 at 9:29 PM

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
    --
    शस्य श्यामला धरा बनाओ।
    भूमि में पौधे उपजाओ!
    अपनी प्यारी धरा बचाओ!
    --
    पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!

    ReplyDelete
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