बर्क साहब ने वन्देमातरम पढने से इंकार किया। ये खबर पढ़कर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। बड़े दुःख की बात है, कि हमारे मुस्लिम भाइयों को वन्दे मातरम के मायने का ही नहीं पता। जबकि इस्लाम में अपने मुल्क को मादर -ए- वतन कहा गया है। जिसका मतलब भी वन्दे मातरम ही है। हमें अपनी ज़मीन को माँ कहने में शर्म कैसी? हिन्दू भाई तो ज़मीन को सिर्फ माँ कहते हैं, लेकिन हम मुस्लिम भारत माता को असली माँ समझते हैं। हम जिंदा रहकर भी अपनी माँ की हिफाज़त करते हैं और मरने के बाद भी धरती माँ के आँचल में हमेशा के लिए सो जाते हैं, जबकि हिन्दू भाई माँ के साथ रहते ज़रूर हैं, लेकिन मरने के बाद उसकी गोद में सो नहीं सकते। मैं गर्व से कहता हूँ वन्दे मातरम और अपने सभी मुस्लिम भाइयों से भी कहता हूँ, कि आप भी कहें वन्दे मातरम।
निवेदक - श्री रउफ अहमद सिददीकी
संपादक, जनता की खोज,
नॉएडा, उ. प्र.
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