भोली भाली छोटी पिंकी
ईश्वर से यह करती विनती
चाहे जितना और सताना
पर लड़की ना मुझे बनाना
पापा कहते मुझे निकम्मी
ताने कसती हरदम मम्मी
कहें दहेज कहाँ से लाऊँ
किससे तेरा ब्याह रचाऊँ
पप्पू मुझसे बड़ा है इत्ता
प्यार मिले पर उसको कित्ता
माँ जब उसको गोद सुलाती
देख-देख कर मैं ललचाती
पप्पू को दे दूध बताशा
मैं माँगूं तो मारे चांटा
उसको तो वह खूब घुमाती
मैं घूमूं तो लट्ठ चलाती
पप्पू को वह खूब पढ़ाती
पर मुझसे बस काम कराती
कहती तुझे यही है करना
ऐसे ही है जीना मरना
हे ईश्वर तू वही बनाये
जो कुछ तेरे मन को भाये
फिर क्यों दोष हमारा लगता
नाम तेरा क्यों जग है जपता
माँ तुझको क्यों डांट न पाये
मुझ पर ही क्यों रौब जमाये
लड़की क्या मैं आप बनी हूँ
क्यों इतनी मैं गई गुजरी हूँ
एक बात है और भी भगवन
प्रश्न उठे यह सदा मेरे मन
माँ भी तो है लड़की होती
फिर क्यों मेरी जान को रोती
खुद को वह क्यों नहीं सताये
मार-मार क्यों मुझे रुलाये
पीर न लड़की क्यों जानें
जन्म बुरा उसका क्यों मानें
बात और एक मन में उठती
सृष्टि सदा नारी से चलती
फिर क्यों है वह तुच्छ कहाये
भगवन तू ही मुझे बताये।
रचनाकार: श्री किशोर श्रीवास्तव
नई दिल्ली
चित्र गूगल बाबा से साभार