कौन जीता हैं तेरे लबों
की मुस्कराहट पर...
हम तो जीते हैं तेरे लबों
की उदासी पर...
कौन पीता है तेरे इश्क
के पैमानों को....
हम तो पीते हैं तेरे अश्कों
के पैमानों को....
ना दे खुशियाँ अपनी
नहीं चाहिए प्यार,
इश्क, मोहब्बत हमें...
पर कुछ तो दे....
दे दे गम अपने....
सब ना दे, कुछ कम दे....
पर दे दे गम अपने.
रविश 'रवि'
फरीदाबाद