Saturday, December 8, 2012

शोभना काव्य सृजन पुरस्कार प्रविष्टि संख्या - 7


विषय - भ्रष्टाचार

झूठ ही झूठ है ,सत्य का  न  लेश  है .
इसलिए  ही  हर  तरफ क्लेश ही क्लेश है।
दलीय नीति झूठ है ,वोट भी झूठ  है .
सत्य  पर  लगा हुआ  आज  मारकेश  है।
जो विरोधी  दीखते  अन्तरंग  मित्र  हैं 
सब रँगे  सियार  हैं ,भिन्न  मात्र  वेश  है।
अपनी  ही तिजोरियां  और  अपनी  पीढियां
ध्यान  में  सभी  के हैं ,कैसा धर्मं -देश  है।
सद्विचार ,नीति सद और निष्ठा है जहाँ
साक्षर ,सुरक्षित ,शांत  वह प्रदेश  है।
वोट -बैंक के लिए व्यक्ति  को है बांटना
लाभ ले रहा है जो, व्यक्ति वह धनेश  है।
आज ही करोडपति बनना चाहता है  वह
सबकी  यही स्थिति आज कमोबेश  है।
रामराज्य की नहीं बात कोई कर रहा
मूल्य  मरते देखता ,मूर्ति  अवधेश  है।
राष्ट्र -नीति एक 'सुषमा' दल भले अनेक हों
राष्ट्र के विकास का मार्ग  यही शेष  है।

रचनाकार - डॉ. सुषमा सिंह 


आगरा, उत्तर प्रदेश 

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सुमित प्रताप सिंह,
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