Tuesday, January 15, 2013

शोभना काव्य सृजन पुरस्कार प्रविष्टि संख्या - 23

विषय: नारी शोषण

ऐसी घटना घटी कि हर दिल जख्मी है
हर आँख रोई पूरा देश शर्मसार है |
बहनों की बेटियों की आबरू से खेलते हैं
कैसा है रिवाज़ और कैसा संस्कार है |
ऐसा पाप वही कर सकता है जो कि या तो
तन से बीमार है या मन से बीमार है |
ऐसे कृत्य की सजा भी सिर्फ कुछ साल की है
कैसा है क़ानून जाने कैसी सरकार है |

पूरे देश की तरफ से मैं मांग करता हूँ
आप से निवेदन है मांग मान लीजिये |
ऐसा ही रवैया रहेगा तो फिर सरकार
              गिर जायेगी ये आप सत्य जान लीजिये |        
दुष्कर्मियों ने जो भी दामिनी के साथ किया
इनके भी साथ ठीक वैसा काम कीजिये |
सालों-साल इन पर केस ना चलियेगा
हाथों-हाथ चौराहों पे फांसी टांग दीजिये|
रचनाकार: श्री अनुराग शुक्ल
 दिल्ली-6

4 comments:

  1. varun kumarJanuary 15, 2013 at 10:52 AM

    बहुत सुंदर प्रस्तुती

    ReplyDelete
    Replies
    1. AnuragJanuary 19, 2013 at 8:12 PM

      बहुत बहुत धन्यवाद् वरुण जी

      Delete
    Reply
  • शालिनी कौशिकJanuary 15, 2013 at 3:24 PM

    .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति ”ऐसी पढ़ी लिखी से तो लड़कियां अनपढ़ ही अच्छी .”
    आप भी जाने @ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .

    ReplyDelete
    Replies
    1. AnuragJanuary 19, 2013 at 8:13 PM

      शालिनी जी, आपका हार्दिक आभार

      Delete
    Reply
Add comment
Load more...

यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!

Newer Post Older Post Home