Saturday, January 19, 2013

एक पत्र पापी पाकिस्तान के नाम

प्यारे पापी पाकिस्तान

सादर पापस्ते!
तुम जैसे पापी देश को पत्र लिखने का मेरा मन तो बिल्कुल नहीं था, लेकिन तुम्हारे पापी सैनिकों ने कुछ दिन पहले हमारे जवानों को बेरहमी से क़त्ल करके जो पाप किया है, वह बर्दाश्त न हुआ तो तुम्हें पत्र लिखने को विवश होना ही पड़ा. अब क्या बताऊँ तुमसे तो कुछ छिपा है नहीं कि तुम्हारा जन्म कैसे हुआ था. फिर भी याद दिला दूँ क्योंकि तुम तो कमअक्ल जो ठहरे जाने तुम्हें याद हो या न हो. तो सुनो तुम्हें जन्म देने का पापी विचार चौधरी रहमत अली के पापी दिमाग में उपजा था. यह पापी विचार दिन-प्रतिदिन राक्षसी रूप धरता गया और आख़िरकार जिन्ना नामक तुम्हारा बेटा अपनी कौम का स्वघोषित नेता बन कर पाकिस्तान नाम से एक अलग देश बनाने की जिद पर अड़ गया. इसके समर्थन में सीधी कार्यवाही कर लाखों इंसानों का क़त्ल किया गया और उनकी औरतों को बेइज्ज़त किया गया. जब पाकिस्तान यानि तुम्हें बनाने की स्वीकृति दे दी गई, तब भी तुम्हारे पापी बेटे अपनी पापी हरकतों से बाज़ नहीं आए और संसार ने देखा कि कैसे पाकिस्तान से लाशों से भरी ट्रेनें हिंदुस्तान में आती रहीं. इससे भी तुम्हारे पापी बेटों को चैन न मिला और पाकिस्तान बनने के कुछ समय बाद ही कश्मीर पर कबायली रूप धरकर हमला बोल दिया और वहाँ भी कुकर्म किये, लेकिन सरदार पटेल ने जब तुम्हारे पापी बेटों को पेलना  शुरू किया तो उनकी नानी मर गई और युद्ध विराम का स्वांग रचकर आधा कश्मीर हड़प लिया और उस आधे हिस्से को जीता-जागता नर्क बना डाला. तुम्हारे पापी बालक यहीं तक थमते तो भी ठीक था, लेकिन वो कहावत तो सुनी ही होगी, कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, तो इस कहावत को चरितार्थ करने में तुम्हारे शैतान बच्चों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. इस क्रम में उन्होंने भारत पर 1965, 1971 और 1999 में हमले किये, लेकिन उन बदमाशों को हर बार भारतीय वीरों से बिना भाव के पिटना पड़ा. जब सीधे युद्ध से दाल न गली तो तुम्हारे महान कपूत कायराना हरकत पर उतर आए और आतंकवाद द्वारा हिंदुस्तान से छद्म युद्द लड़ने लगे. अब तुम भी अपनी औकात अच्छी तरह से जानते होगे, कि कैसे पूरी दुनिया से भीख मांग-मांग कर तो तुम्हारा गुज़ारा चल पाता है. सोचो अगर सभी देशों ने तुम्हारे कटोरे में भीख डालनी बंद कर दी तो तुम्हारा क्या हाल होगा. रही बात हिंदुस्तान को हराने की तो यह ख्वाब तो देखना ही छोड़ दो और याद करो कि तुम्हारे बेटे मो. इकबाल (जो पहले हिंदुस्तान को अपना बाप मानता था) ने ही तो लिखा था “कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-जमाँ हमारा.”  हिंदुस्तान की ताकत का एक उदाहरण दूँ, तो तुम तो काँप ही उठोगे. सोचो अगर आधा हिंदुस्तान भी तुम्हारी सीमा पर आकर लघुशंका कर दे तो तुम्हारा आस्तित्व तो अरब सागर में गुडुप-गुडुप करके डुबकी लगा रहा होगा. डर गए न अरे यह तो बस एक छोटा से उदाहरण था. हमारे पास इससे भी ज्यादा धाँसू तरीके हैं तुम्हारी धौंस को ठीक करने के. इसलिये अपनी औकात में रहना सीख लो, वरना कहीं ऐसा न हो कि आज से कुछ सालों बाद इतिहास में यह पढ़ाया जाए, कि दुनिया में कभी एक पापी देश था जिसका नाम था पापिस्तान. ओहो भूल सुधारकर पढ़ना पाकिस्तान (वैसे पापिस्तान भी तुम्हारे लिए अच्छा नाम है). उम्मीद है कि तुम अपनी पापी हरकतों से बाज़ आओगे.
 
तुम्हारे सुधरने की आस में


एक हिन्दुस्तानी 

लेखक- सुमित प्रताप सिंह


नई दिल्ली, भारत  


7 comments:

  1. varun kumarJanuary 19, 2013 at 1:32 PM

    जियो भारत के लाल तुमपर गर्व हैँ ।

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    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghJanuary 19, 2013 at 7:04 PM

      शुक्रिया वरुण कुमार जी...

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  • शिवम् मिश्राJanuary 19, 2013 at 7:01 PM

    लातों के भूत बातों से नहीं मानते !

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    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghJanuary 19, 2013 at 7:04 PM

      आपकी बात से सहमत हूँ शिवम भाई...

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  • पूरण खण्डेलवालJanuary 19, 2013 at 8:35 PM

    काश अक्ल आ जाए !!

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  • Kailash SharmaJanuary 19, 2013 at 11:06 PM

    बेशर्मों पर बातों का असर नहीं होता...

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  • Santosh PawarJanuary 23, 2013 at 4:14 PM

    क्या बात है बहुत खूब

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