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Friday, March 8, 2013

शोभना फेसबुक रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 16

मनु तुम कब समझोगे ?

मन से कोमल,चेहरे से निर्मल,आँखों से चपल
संचित उजालों से पति का घर प्रदीप्त करती
वह सृजन शक्ति समेटे सृष्टि का क्रम चलाती
फिर भी, बोझ कहलाती,कोख में मार दी जाती
उसे चिर-वंचिता रखने के कुभाव से कब उबरोगे ?

नारी की अहमियत को,मनु तुम कब समझोगे ?
जब उन्मुक्त हो खुली हवा में जीना चाहा, जी भर
तुम्हारी हैवानियत ने पैरो तले है रौंदा
कटे पंख सी फडफडाकर गिर पड़ी धरा पर..आह भर
टुटा संयम,जोड़ न पायी तिनके, न बना फिर घरौंदा

नारी अंतस की कोमल भावनाओं को कब मान दोगे?
अपनी मर्यादा में रहना ,मनु तुम कब समझोगे?
क्या नारी निज अस्तित्व की रक्षा हेतु झुझती रहेगी
तुम्हारे अहम् की पुष्ठी हेतु अग्नि परीक्षा देती रहेगी
या ,पाषाण-खंड बन ,राम के आने की बाट जोहेगी
निज सम्पति समझ जुएँ में उसे दांव पर लगाओगे
औरत की अस्मत का कब तक मोल भाव करोगे ?
नारी नहीं है निष्प्राण , मनु तुम कब समझोगे ....?

ज्यों रश्मियाँ बिन सूरज ,चाँदनी बिन चंदा अधुरा
नर भी होता कब नारी बिना पूरा ,
यज्ञ ,पूजा अनुष्ठान, सभी में नारी का योगदान 
नारी ही पुरुष को जीवन के यथार्थ से अवगत कराती
प्रेम समर्पण से अंतर्पट खोल सत्य की राह चलाती
क्या यह चिर-सत्य आत्मसात कर सकोगे 
दोनों एक दूजे के पूरक, मनु तुम कब.... समझोगे ?
मनु तुम कब.... समझोगे ?

रचनाकार: सुश्री संतोष भाऊवाला 
बंगलौर, कर्नाटक  

10 comments:

  1. Madan Mohan SaxenaMarch 8, 2013 at 11:19 AM

    बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.
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    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
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    1. Santosh BhauwalaMarch 8, 2013 at 5:40 PM

      हार्दिक धन्यवाद .

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    Reply
  • vandana guptaMarch 8, 2013 at 3:44 PM

    सार्थक अभिव्यक्ति।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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    1. Santosh BhauwalaMarch 8, 2013 at 5:49 PM

      आदरणीय वन्दना जी , हार्दिक धन्यवाद ,चर्चा मंच के लिए आभारी हूँ ।

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    Reply
  • Asha SaxenaMarch 9, 2013 at 6:23 AM

    उम्दा रचना सुन्दर शब्द चयन |

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    1. Santosh BhauwalaMarch 12, 2013 at 11:14 AM

      अतिशय धन्यवाद

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  • Kalipad "Prasad"March 9, 2013 at 2:37 PM

    सटीक और सार्थक विचार
    latest postमहाशिव रात्रि
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    1. Santosh BhauwalaMarch 12, 2013 at 11:14 AM

      अतिशय धन्यवाद

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  • manjuMarch 12, 2013 at 11:44 AM

    naari ke man ki vyatha ko jis khushalta se aapne ujagar kiya hai vaha atyant sarahani hai..

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    1. Santosh BhauwalaMarch 13, 2013 at 12:51 PM

      dhanywaad !

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