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एंटी रोड रेज एंथम: गुस्सा छोड़

Saturday, September 7, 2013

हनुमान मंदिर ,कनॉट प्लेस ,दिल्ली भाग 2.

भाग 1.
गर्भ गृह और चोला :----गर्भ गृह में स्वयंभू बाल हनुमान के साथ साथ राम दरबार, राधा कृष्ण विराजमान हैं | सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को मंदिर में चोला चढ़ाने की खास परंपरा है |मंगलवार के लिए सोमवार रात को और शनिवार के लिए शुक्रवार रात को चोला चढ़ाया जाता है |चोला चढ़ावे में श्रद्धालु घी, सिंदूर, चांदी का वर्क और इत्र की शीशी का इस्तेमाल करते हैं| कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर की एक अद्भुद चमत्कारिक विशेषता है यहां हनुमानजी लगभग दस साल बाद अपना चोला छोड़कर अपने प्राचीन स्वरूप में आ जाते हैं।

चित्र:Hanuman and other deities in the Sanctum Santorum.JPG
गर्भ गृह की दीवार पर हनुमान जी 
एवं अन्य देवी देवता 

आज इसमें काफी परिवर्तन आ चुके हैं ,बाहर इसके प्रांगन का अभी लगभग दो वर्ष पहले ही नव निर्माण किया गया है ,पहले पार्किंग की व्यवस्था प्राइवेट ठेकेदार चलाते थे ,यहाँ कभी  कभी अपनी मनमानी भी करते थे ,जिसमें अब काफी सुधार हुआ है ,जबकि बहुत बढ़िया अंडर ग्राउंड पार्किंग बनाई गई है जिसका प्रयोग मैंने होते हुए कभी नहीं देखा है सब गाड़ियाँ आसपास की सडकों पर ही  खड़ी रहती हैं ,क्योंकि सामने ही कनॉट प्लेस थाना है इसलिए जब कोई उच्च अधिकारी जाँच के लिए आते हैं तो गाड़ियाँ उठा भी ली जाती हैं 
मंदिर के बाहर जूते वालों के टेंट 
         जूता घर ,शौचालयों का ,कुछ दुकानों का निर्माण भी इस निर्माण के साथ हुआ है जिनका प्रयोग ना के मात्र है ,सिर्फ शौचालय की सुविधा जरुर काम आ रही है ,जो पहले पास ही बने शनिमंदिर  तक जाना पड़ता था ,जूता घर का प्रयोग भी नहीं किया जाता क्योंकि कोई निशुल्क सेवा नहीं करना चाहता जो बहुत सारे लोग बाहर टेंट लगा कर बैठते हैं वोह बेकार हो जाते हैं ,क्योंकि 15...15 वर्षों से वो यहाँ से कमाई कर रहे हैं जो भी भक्तजन आते हैं अपनी श्रद्दा से 5...10 रुपये दे जाते हैं ,जबकि अब सुरक्षा की दृष्टि से टेंट हटा दिए गए हैं फिर भी जूता घर के बाहर ही  सब जूते वाले नजर आते हैं 

सुनसान जूता घर 
बाहर प्रांगन में बहुत सारी प्रसाद की ,भेंट खिलौने आदि की दुकानें हैं , कचोरी वाले मेंहदी वाले प्रांगन में जगह जगह पर कब्ज़ा जमाये हुए हैं बहुत सारे ज्योतिषी तांत्रिक भी मुख्यता मंगलवार और शनिवार को नजर आते हैं | त्योहारों पर मेहंदी लगवाने के लिए यहाँ औरतों का जमावड़ा रहता है |
नवभारत टाइम्स से साभार :----
यह मंदिर कनॉट प्लेस के व्यस्त इलाके में है, इसलिए इसकी सुरक्षा को लेकर खासे इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के अंदर 21 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। मंगलवार व शनिवार को वहां खासी सुरक्षा होती है और पुलिस का पर्याप्त इंतजाम किया जाता है। मंदिर और उसके आसपास सफाई व्यवस्था को लेकर भी खासी सजगता भी दिखाता है मंदिर प्रशासन ,ऐसा यहाँ के महंतजी का कहना है । 
             यह मंदिर आम के साथ साथ खास लोगों में भी खासा लोकप्रिय है। पुराने कलाकारों में राजकुमार से लेकर आज के फिल्मी स्टार आमिर खान सचिन तेंदुलकर भी सीपी के इस भव्य मंदिर के दर्शन कर चुके हैं। देश और दिल्ली के छोटे बड़े नेता भी जब तब इस मंदिर में आकर शीश नवाते रहे हैं।
भगवान दर्शन की विशेष तिथियाँ :---
इसके अतिरिक्त साल में चार तिथियां इस मंदिर के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं. दीपावली, हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, और शिवरात्रि के दिन मंदिर में बाल हनुमान का विशेष श्रृंगार किया जाता है. इस दिन भगवान को सोने का श्रंगार किया जाता है। यहां मनौती मानने वाले भक्त बड़ी संख्या में संसारभर से आते हैं और मनौती पूर्ण होने पर भगवान को सवामनी चढ़ाते हैं।
          कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर के निकट स्थित एशिया के सबसे बड़े फूलों के बाजार में पिछले पंद्रह सालों से फूलों का बाजार भी लगता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006-2007 में कुल 649.84 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ जबकि पिछले वर्ष यह 210.99 करोड़ रुपये का था। केवल दिल्ली से लगभग 100 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है।अभी दो वर्ष से यह बाजार लगना बंद हो गया है 
           कनाट प्लेस देश और दिल्ली का व्यावसायिक केंद्र होने के साथ ही धर्म और आस्था का भी केंद्र है | इस लिहाज से कनाट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर पर्यटन और धार्मिक पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है | अमूमन देश विदेश से आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु इस मंदिर में शीश झुकाना नहीं भूलते | मंगलवार और शनिवार भगवान हनुमान के पूजन के दो विशेष दिन हैं | इन दिनों में मंदिर 24 घंटे के लिए खुला होता है यानि इन दिनों भगवान ओवरटाइम करते हैं |
कुछ विशेष जानकारी :----
        यहाँ गद्दी पर विराजमान पुरोहित जी से जब मैंने महंत परम्परा की  जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया यहाँ इस समय 36 महंत हैं जिनके बेटे बारी बारी से यहाँ मंदिर का कार्य सँभालते हैं जैसे जिसका एक बेटा है वोह एक दिन जिसके दो बेटे हैं दो दिन जिसके चार हैं वोह उसी क्रम में मंदिर की सेवा करते हैं उनके दिन निश्चित हैं |
          दूसरी जानकारी मैंने मंदिर के बाहर बैठने वाले जय सिंह से ली जो 1984 से जूता सेवा कर रहे हैं ,जैसा की उन्होंने बताया कि उनके पिता कनी सिंह जी ने 50 वर्ष इसी मंदिर के बाहर जूता सेवा की है जो अपने पिता जी और एक किसी और सज्जन को सबसे पुराने सेवादार बताते हैं |इससे स्पष्ट है कि मंदिर संभालने का और जूता सेवा का यह काम पीड़ी दर पीड़ी चला आ रहा है |
      मैंने कई बार गद्दी पर बैठे महंत जी से अनुरोध किया है कि इस प्राचीन मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिए श्रद्धालुओं को माथा टेकने में आने वाली भीड़ की समस्या का उचित प्रबंध किया जाए ,जोकि थोड़ी सी सावधानी से हो सकता है ताकि उनको यह सूचना बार बार ना देनी पड़े कि जेबकतरों से सावधान रहें,लेकिन कोई कारवाई नहीं होती है अब मंदिर प्रशासन से बात कर इसका समाधान हो सकता है |

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