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कविता: वो मंत्र नमो है

Tuesday, January 28, 2014

ज़किया ज़ुबैरी के कहानी संग्रह साँकल का विमोचन


शुक्रवार दिनाँक 24 जनवरी, 2014 को इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्सी में लन्दन, ब्रिटेन में रहनेवाली लेखिका ज़किया ज़ुबैरी के कहानी संग्रह साँकल का लोकार्पण किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे चर्चित व्यंग्यकार व व्यंग्य यात्रा के संपादक प्रेम जनमेजय. कार्यक्रम की अध्यक्षता की प्रो. गंगा प्रसाद ने. संयोजक की भूमिका में लंदनवासी कहानीकार तेंजेद्र शर्मा थे व इस कार्यक्रम के संचालन की बागडोर संभाली कथाकार अजय नावरिया ने. 


कार्यक्रम का शुभारंभ तेजेन्द्र शर्मा ने ज़किया के कहानी संग्रह पर बीज वक्तव्य देकर किया. उन्होंने ज़किया की विभिन्न कहानियों पर विस्तृत रूप से चर्चा की व बताया कि गंगा-जमुनी तहजीब की भाषा में लिखी गईं उनकी कहानियों में मानवीय रिश्तों एवं समस्याओं के साथ राजनीतिक उठा-पटक की झलक भी मिलती है. इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में सभी वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे. 

जहाँ अध्यक्ष महोदय ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मान्य हुई हिन्दी की शिखरवर्ती कहानियों को प्रवासी एवं गैर प्रवासी खेमे में बाँटने की जरूरत नहीं है. हिन्दी में अच्छी कहानियाँ कहीं भी और कभी भी लिखी जा सकती हैं, वहीं मुख्य अतिथि ने कहा कि प्रवासी लेखन में मूल देश से दूर होने और वहाँ की यादों के अलावा अब अपनाए गए मुल्क की समस्याओं का वर्णन भी आने लगा है. प्रवासी लेखक आज जिस प्रकार की समस्याओं का सामना परदेश में रहकर महसूस कर रहे हैं, वैसी समस्याएं अब अपने देश भारत में भी उत्पन्न होने लगीं हैं, क्योंकि जीवन मूल्यों में हुए क्षरण पारिवारिक विघटन जैसी समस्याएँ अब हर देश की समस्या बन चुकी हैं. 


ज़किया की कहानियों पर डॉ. अल्पना मिश्र व प्रो. सत्यकेतु ने भी अपने सुंदर विचार रखे. 


इसी कार्यक्रम के दौरान ज़किया ज़ुबैरी ने अपनी रचना प्रक्रिया के विषय में बताते हुए कहा कि उनका लिखना पहले से तय नहीं होता. उन्होंने बताया कि वो पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों से वक़्त निकालकर कहानियाँ लिखती हैं. उन्होंने मासूमियत से स्वीकार किया कि उन्हें नहीं मालूम कि उनकी कहानियों में क्या खूबियाँ हैं, लेकिन उनकी कहानियों के कथानक व किरदार सच्चे हैं. इस दौरान उनके द्वारा बताई गई बचपन में शिव भगवान की काँच की कलाकृति बेचकर अपना जेब खर्च निकालने की बात से उनके बचपन से ही आत्मनिर्भर व स्वाभिमानी होने की उनकी एक अन्य खूबी का भी पता चला.

इस प्रकार अजय नावरिया के सफल संचालन में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस अवसर पर राजकमल से अशोक माहेश्वरी, कवियित्री ममता किरण, वरिष्ठ कवि लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, प्रवासी संसार के संपादक राकेश पांडे, राजीव तनेजा, वंदना गुप्ता, विवेक मिश्रा, नमिता राकेश, गीता श्री, रूपा सिंह, हीरालाल, डॉ. सुनीता,  सुबोध कुमार एवं भरत तिवारी इत्यादि हिन्दी प्रेमी उपस्थित थे.    

रिपोर्ट: सुमित प्रताप सिंह 
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